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  1. मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म पश्चिमी भारत में वर्तमान गुजरात के एक तटीय नगर पोरबंदर नामक स्थान पर २ अक्टूबर सन् १८६९ को हुआ था। उनके पिता करमचन्द गान्धी सनातन धर्म की पंसारी जाति से सम्बन्ध रखते थे और ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान अर्थात् प्रधान मन्त्री थे। गुजराती भाषा में गान्धी का अर्थ है पंसारी [43] ...

    • जब इंग्लेंड से वापस लौटे –
    • दक्षिण अफ्रीका की यात्रा –
    • दक्षिणा अफ्रीका से वापस भारत लौटने पर स्वागत –
    • आंदोलनों की खास बातें –
    • मृत्यु –
    • एक नजर में –

    साल 1891 में गांधी जी बरिस्ट्रर होकर भारत वापस लौटे इसी समय उन्होनें अपनी मां को भी खो दिया था लेकिन इस कठिन समय का भी गांधी जी ने हिम्मत से सामना किया और गांधी जी ने इसके बाद वकालत का काम शुरु किया लेकिन उन्हें इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली।

    महात्मा गांधी जी को वकालत के दौरान दादा अब्दुल्ला एण्ड अब्दुल्ला नामक मुस्लिम व्यापारिक संस्था के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। इस यात्रा में गांधी जी का भेदभाव और रंगभेद की भावना से सामना हुआ। आपको बता दें कि गांधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचने वाले पहले भारतीय महामानव थे जिन्हें अपमानजनक तरीके से ट्रेन से बाहर उतार दिया गया। इसके साथ...

    1915 में दक्षिण अफ्रीका में तमाम संघर्षों के बाद वे वापस भारत लौटे इस दौरान भारत अंग्रेजो की गुलामी का दंश सह रहा था। अंग्रेजों के अत्याचार से यहां की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी। यहां हो रहे अत्याचारों को देख गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जंग लड़ने का फैसला लिया और एक बार फिर कर्तव्यनिष्ठा के साथ वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

    महात्मा गांधी की तरफ से चलाए गए सभी आंदोलनों में कुछ चीजें एक सामान थी जो कि निम्न प्रकार हैं – 1. गांधी जी के सभी आंदोलन शांति से चलाए गए। 2. आंदोलन के दौरान किसी की तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने की वजह से ये आंदोलन रद्द कर दिए जाते थे। 3. आंदोलन सत्य और अहिंसा के बल पर चलाए जाते थे।

    नाथूराम गोडसेऔर उनके सहयोगी गोपालदास ने 30 जनवरी 1948 को बिरला हाउस में गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

    1893 में दादा अब्दुला के कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। महात्मा गांधी जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिय...
    1906 में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना जरुरी था। इसके अलावा रंग भेद नीती के खिलाफ उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
    1915 में महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
    1919 में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन शुरु किया।
  2. भारत की आजादी में महात्मा गांधी का योगदान. आइए आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के विशिष्ट योगदान के बारे में जानते हैं. Distinguished Contribution of Mahatma Gandhi That Helped In The Indian Freedom Struggle. चंपारण सत्याग्रह,1917 Champaran Satyagraha.

  3. मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, वर्तमान भारतीय राज्य गुजरात में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे. उनकी गहरी धार्मिक मां वैष्णव (हिंदू भगवान विष्णु की पूजा) की पूजा के लिए समर्पित थे.

  4. मोहनदास करमचंद गांधी या महात्मा गांधी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता कार्यकर्ता और एक आधिकारिक या शक्तिशाली राजनीतिक नेता थे। जिन्होंने भारत के ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें देश का पिता भी माना जाता था। इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने भारत के गरीब लोगों के जीवन में भी सुधार किया। उनके जन्मदिन...

  5. isake uparaant punah 6 julaee 1944 ko subhash chandr bos ne rediyo siangapur rediyo se ek sandesh prasarit karate huye mahatma gaandhi ko ‘rashtrapita’ kahakar sanbodhit kiya.

  6. महात्मा गाँधी का वास्तविक नाम श्री मोहनदास करमचंद गाँधी था । आपका जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 ई॰ में काठियावाड़ जिले के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ । पिता करमचंद पोरबंदर के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई एक साध्वी महिला थीं जो नित्य पूजा-पाठ व व्रत-उपवास आदि में पूर्ण आस्था रखती थीं । गाँधी जी के जीवन पर माता के उत्तम संस्कारों की अमिट छाप पड़ी ।.

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