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  1. ↑ अंग्रेज़ी में "दूरदर्शन" को "टेलिविश़न" (television) कहा जाता है। प्रथा के अनुसार "श़" को कभी-कभी "ज़" लिख दिया जाता है जिस से यह शब्द "टेलिविझ़न" लिख दिया जाता है, हालाँकि यह पूरा सही नहीं है। "टेलिविश़न" शब्द को सही बोलने के लिए श़ के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह "ज़" और "श" दोनों के उच्चारण से भिन्न है।. इन्हें भी देखें. डीडी फ्री डिश.

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      प्रसारण. श्रब्य और/अथवा विडियो संकेतों को एक स्थान से सभी...

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    हिन्दी पत्रकारिता तथा भारतीय पाठक सर्वेक्षण(Indian Readership Survey) भी देखें। भारत की स्वतंत्रता के समय बड़े या तथाकथित राष्ट्रीय समाचार पत्र अंग्रेजी मे ही छपते थे। किन्तु शिक्षा और साक्षरता के प्रसार की दिशा मे किए गए प्रयासों के फलस्वरूप यह अवधारणा बदलने लगी तथा हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के अखबार पढ़ने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होने लग...

    हिन्दी की लोकप्रियता का पैमाना हिन्दी फिल्मों से बड़ा नहीं हो सकता जिसने देश के हर कोने में बसे लोगों के दिलों पर ही राज नहीं कर रखा है बल्कि दुनिया भर में अपना परचम फहराया है।

    राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को सर्वस्वीकार्य बनाने में रेडियो की उल्लेखनीय भूमिका रही है। आकाशवाणी ने समाचार, विचार, शिक्षा, समाजिक सरोकारों, संगीत, मनोरंजन आदि सभी स्तरों पर अपने प्रसारण के माध्यम से हिंदी को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। इसमें हिंदी फिल्में और फ़िल्मी गीतों का विशेष स्थान रहा है। हिंदी...

    मीडिया का सबसे मुखर, प्रभावशाली और आकर्षक माध्यम टेलीविजन माना जाता है। टेलीविजन श्रव्य के साथ-साथ दृश्य भी दिखाता है, इसलिए यह अधिक रोचक है। भारत में अपने आरंभ से लगभग ३० वर्ष तक टेलीविजन की प्रगति धीमी रही किन्तु वर्ष १९८० और १९९० के दशक में दूरदर्शन ने राष्ट्रीय कार्यक्रम और समाचारों के प्रसारण के ज़रिये हिंदी को जनप्रिय बनाने में काफी योगदान कि...

    जब इन्टरनेट का भारत में प्रसार शुरू हुआ तो यह आशंका व्यक्त की गई थी कि कंप्यूटर के कारण देश में फिर से अंग्रेजी का बोलबाला हो जाएगा। किन्तु यह धारणा निर्मूल साबित हुई है और आज हिंदी वेबसाइट तथा ब्लॉगन केवल धड़ल्ले से चले रहे हैं बल्कि देश के साथ-साथ विदेशों के लोग भी इन पर सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा चैटिंग कर रहे हैं। इस प्रकार इंटरनेट भी हिंदी के ...

    मीडिया ने हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सोशल मीडिया ने सार्वजनिक अभिव्यक्ति और एक बड़े समुदाय तक निडर और बिना रोक-टोक और नियंत्रण के अपनी बात, अपनी सोच और अनुभव पहुंचाना संभव बनाकर करोड़ों लोगों को एक नई ताकत, छोटी बड़ी बहसों में भागीदारी का नया स्वाद और हिम्मत दी है।दुनियाभर में आज भारतीय फिल्में व टेलीविजन कार्यक्रम देखे जाते हैं...

    हिन्दी का व्यापक प्रयोग, जनसंचार-माध्यमों की आज अनिवार्य आवश्यकता बन गई है। हिन्दी के बिना हिन्दुस्तान में जन-जन तक पहुँचना सम्भव नहीं है। शब्द-भण्डार, व्याकरण और साहित्य सभी दृष्टियों से अत्यन्त समृद्ध हिन्दी का आज के इस अर्थप्रधान युग में महत्वपूर्ण स्थान है। उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में, जहाँ भारतीय भाषाओं के प्रयोग की पूर्ण उपेक्षा की जाती ...

    भारतीय संसद में बोलने और तर्कवितर्क करने के लिये हिन्दी का प्रयोग पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ गया है। राजनितिक दलों की प्रेस वार्ताएँ तथा सार्वजनिक मंचों पर नेताओं के विचार अब अंग्रेजी के बजाय हिन्दी में आने लगे हैं। इसमें अहिन्दीभाषी क्षेत्रों के नेता और पार्टियाँ भी शामिल हैं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने एक बार कहा था कि वे प्रधानमंत्र...

    डिजिटल दुनिया में हिंदी की मांग अंग्रेजी की तुलना में पांच गुना ज्यादा तेज है। अंग्रेजी की तुलना में हिंदी 5 गुना तेजी से बढ़ रही है। भारत में हर पांचवा इंटरनेट प्रयोगकर्ता हिंदी का उपयोग करता है। देश में जहाँ हिंदी सामग्री की डिजिटल मीडिया में खपत 94 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, वहीं अंग्रेजी सामग्री की खपत केवल 19 प्रतिशत की दर से ही बढ़ी है। आज स्म...

  2. टेलीविज़न ( अंग्रेज़ी :Television) एक वैज्ञानिक उपकरण है। टेलीविज़न अथवा टेलीविजन जन-संचार का दृश्य-श्रव्य माध्यम है। ध्वनि के साथ-साथ चित्रों के सजीव प्रसारण के कारण यह अपने कार्यक्रम को रुचिकर बना देता है। जिसका समूह पर प्रभावशाली और प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। टेलीविज़न मुख्य रूप से दृष्टि-निर्बन्ध के सिद्धान्त पर आधारित है। जिस वस्तु या व्यक्...

  3. Nov 21, 2022 · aajtak.in. नई दिल्ली, 21 नवंबर 2022, (अपडेटेड 21 नवंबर 2022, 9:40 AM IST) World Television Day 2022: हर साल 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day) सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन का उद्देश्य टेलीविजन के महत्व को उजागर करना है.

  4. टेलिविज़न धारावाहिक या रेडियो धारावाहिक ऐसी नाटकीय कथा को कहते हैं जिसे किश्तों में विभाजित कर के उन किश्तों को टेलिविज़न या रेडियो पर एक-एक करके दैनिक, साप्ताहिक, मासिक या किसी अन्य क्रम के अनुसार प्रस्तुत किया जाता है। इन्हें अंग्रेज़ी व कई अन्य भाषाओं में साबुन नाटक या सोप ऑपेरा ( soap opera) कहा जाता है क्योंकि ऐसे रेडियो धारावाहिकों को शुरू...

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