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  1. Harivanshrai Bachchan collection of poetry, Kavita, Pad, dohe, Story, geet & more in Hindi . Read more about Harivanshrai Bachchan and access their famous audio, video, and ebooks.

  2. Nov 7, 2011 · Madhushala (Harivansh Rai Bachchan Poems Recited By Amitabh Bachchan.) (HD) ashutosh vashist. 37.7K subscribers. Subscribed. 16K. 1.8M views 12 years ago. Harivansh Rai Bachchan...

    • Nov 7, 2011
    • 1.8M
    • ashutosh vashist
  3. Oct 11, 2012 · Bhagvad Gita by Harivansh Rai Bachchan. Narrated by Amit Brahmbhatt. Addeddate. 2022-02-27 18:24:06. Identifier. bhagavad-gita-hindi-bachchan-p-1. Scanner. Internet Archive HTML5 Uploader 1.6.4.

    • •• अग्निपथ कविता ••
    • ••• नीड़ का निर्माण ••• Harivansh Rai Bachchan Poems
    • •• पथ की पहचान ••
    • •• चल मरदाने •• Harivansh Rai Bachchan Poems
    • •• साथी, सब कुछ सहना होगा ••
    • •• आत्‍मपरिचय •• Harivansh Rai Bachchan Poems
    • •• संवेदना ••
    • •• दिन जल्दी-जल्दी ढलता है •• Harivansh Rai Bachchan Poems
    • •• था तुम्हें मैंने रुलाया ••
    • •• जो बीत गई सो बात गई •• Harivansh Rai Bachchan Poems

    वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छाँह भी, माँग मत, माँग मत, माँग मत, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु श्वेत रक्त से, लथपथ लथपथ लथपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

    नीड़ का निर्माण फिर-फिर, नेह का आह्णान फिर-फिर। वह उठी आँधी कि नभ में छा गया सहसा अँधेरा, धूलि धूसर बादलों ने भूमि को इस भाँति घेरा, रात-सा दिन हो गया, फिर रात आ‌ई और काली, लग रहा था अब न होगा इस निशा का फिर सवेरा, रात के उत्पात-भय से भीत जन-जन, भीत कण-कण किंतु प्राची से उषा की मोहिनी मुस्कान फिर-फिर नीड़ का निर्माण फिर-फिर, नेह का आह्णान फिर-फिर। ...

    पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी, हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की जबानी, अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या, पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी, यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है, खोल इसका अर्थ, पंथी, पंथ का अनुमान कर ले। पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। है अनिश्चित किस जगह पर...

    चल मरदाने, सीना ताने, हाथ हिलाते, पांव बढाते, मन मुस्काते, गाते गीत । एक हमारा देश, हमारा वेश, हमारी कौम, हमारी मंज़िल, हम किससे भयभीत । चल मरदाने, सीना ताने, हाथ हिलाते, पांव बढाते, मन मुस्काते, गाते गीत । हम भारत की अमर जवानी, सागर की लहरें लासानी, गंग-जमुन के निर्मल पानी, हिमगिरि की ऊंची पेशानी सबके प्रेरक, रक्षक, मीत । चल मरदाने, सीना ताने, हाथ...

    मानव पर जगती का शासन, जगती पर संसृति का बंधन, संसृति को भी और किसी के प्रतिबंधों में रहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा! हम क्या हैं जगती के सर में! जगती क्या, संसृति सागर में! एक प्रबल धारा में हमको लघु तिनके-सा बहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा! आओ, अपनी लघुता जानें, अपनी निर्बलता पहचानें, जैसे जग रहता आया है उसी तरह से रहना होगा! साथी, सब कुछ सहन...

    मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ, फिर भी जीवन में प्‍यार लिए फिरता हूँ कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर मैं सासों के दो तार लिए फिरता हूँ! मैं स्‍नेह-सुरा का पान किया करता हूँ, मैं कभी न जग का ध्‍यान किया करता हूँ, जग पूछ रहा है उनको, जो जग की गाते, मैं अपने मन का गान किया करता हूँ! मैं निज उर के उद्गार लिए फिरता हूँ, मैं निज उर के उपहार लिए फिरता ...

    क्या करूँ संवेदना ले कर तुम्हारी ? क्या करूँ ? मैं दुःखी जब-जब हुआ संवेदना तुमने दिखाई, मैं कृतज्ञ हुआ हमेशा रीति दोनों ने निभाई, किंतु इस आभार का अब हो उठा है बोझ भारी क्या करूँ संवेदना ले कर तुम्हारी ? क्या करूँ ? एक भी उच्छ्वास मेरा हो सका किस दिन तुम्हारा? उस नयन से बह सकी कब इस नयन की अश्रु-धारा? सत्य को मूँदे रहेगी शब्द की कब तक पिटारी? क्या ...

    हो जाय न पथ में रात कहीं, मंजिल भी तो है दूर नहीं – यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है! दिन जल्दी-जल्दी ढलता है! बच्चे प्रत्याशा में होंगे, नीड़ों से झाँक रहे होंगे – यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है! दिन जल्दी-जल्दी ढलता है! मुझसे मिलने को कौन विकल? मैं होऊँ किसके हित चंचल? – यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह...

    हा, तुम्हारी मृदुल इच्छा! हाय, मेरी कटु अनिच्छा! था बहुत माँगा ना तुमने किन्तु वह भी दे ना पाया! था तुम्हें मैंने रुलाया! स्नेह का वह कण तरल था, मधु न था, न सुधा-गरल था, एक क्षण को भी, सरलते, क्यों समझ तुमको न पाया! था तुम्हें मैंने रुलाया! बूँद कल की आज सागर, सोचता हूँ बैठ तट पर – क्यों अभी तक डूब इसमें कर न अपना अंत पाया! था तुम्हें मैंने रुलाया!

    जीवन में एक सितारा था माना वह बेहद प्यारा था वह डूब गया तो डूब गया अंबर के आंगन को देखो कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है जो बीत गई सो बात गई जीवन में वह था एक कुसुम थे उस पर नित्य निछावर तुम वह सूख गया तो सूख गया मधुबन की छाती को देखो सूखीं कितनी इसकी कलियाँ मुरझाईं कितनी...

    • aaokuchkahen@gmail.com
  4. गीत मेरे / हरिवंशराय बच्‍चन. लहर सागर का श्रृंगार नहीं / हरिवंशराय बच्चन. आ रही रवि की सवारी / हरिवंशराय बच्‍चन. चिडिया और चुरूंगुन ...

  5. Harivanshrai Bachchan collection of poetry, ghazal, Nazm in Urdu, Hindi & English. Read more about Harivanshrai Bachchan and access their famous audio, video, and ebooks.”

  6. Aug 8, 2023 · Last Updated on August 8, 2023. Want to read the famous Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi? then here we have collected the best हरिवशं राय बच्चन की कविताएँ|. Harivansh Rai Bachchan is a Hindi Poet and father of famous actor Amitabh Bachchan. His poems are very famous and people love his writing ...