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  1. Mar 27, 2024 · स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom):- इस में भाषण और अभिव्यक्ति (Speech & Expression) की स्वतंत्रता, सभा की स्वतंत्रता, संघ या संघ बनाने की स्वतंत्रता, आंदोलन की स्वतंत्रता, देश के किसी भी हिस्से में रहने और बसने की स्वतंत्रता, और किसी भी पेशे का अभ्यास करने की Freedom जैसी विभिन्न स्वतंत्रताएं शामिल हैं।.

  2. A. मौलिक अधिकार. संविधान सभी नागरिकों के लिए व्‍यष्टि और सामूहिक रूप से कुछ बुनियादी स्‍वतंत्रता देता है। इनकी मौलिक अधिकारों की छह व्‍यापक श्रेणियों के रूप में संविधान में गारंटी दी जाती है जो न्‍यायोचित हैं। संविधान के भाग III में सन्निहित अनुच्‍छेद 12 से 35 मौलिक अधिकारों के संबंध में है। ये हैं:

  3. Fundamental Rights + Articles (मौलिक अधिकार) - WonderHindi. मौलिक अधिकारों की आधारभूत समझ. इस पेज पर मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) से संबन्धित सभी लेखों का एक क्रम में संकलन किया गया है। आवश्यकतानुसार लेखों का चयन करें और उसे सरल और सहज भाषा में समझें।.

    • भारतीय संविधान – विशाल संविधान
    • भारतीय संविधान – लचीलेपन और कठोरता का मिश्रण
    • भारतीय संविधान – संघात्मकता और एकात्मकता का मिश्रण
    • भारतीय संविधान – लोकतांत्रिक गणराज्य
    • भारतीय संविधान – एकल नागरिकता
    • भारतीय संविधान – संसदीय व्यवस्था
    • भारतीय संविधान – संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य

    भारत का संविधान एक अत्यंत विशाल संविधान है। इसका कारण यह है कि भारतीय संविधान में विभिन्न प्रावधानों को काफी सहज से तरीके से विस्तृत रूप में लिखा गया है, ताकि संविधान का पालन करने के दौरान शासन प्रशासन को अधिक कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। यही कारण है कि भारतीय संविधान में वर्तमान में कुल 395 अनुच्छेद 25 भाग और 12 अनुसूचियां विद्यमान है। संख्यात...

    भारतीय संविधान के लचीले होने का अर्थ यह है कि भारतीय संविधान के कुछ प्रावधान ऐसे हैं, जिन्हें भारतीय संसद साधारण बहुमत के माध्यम से संशोधित कर सकती है। उदाहरण के लिए, राज्यों के नाम, उनकी सीमा इत्यादि में संशोधन भारतीय संसद साधारण बहुमत के माध्यम से ही कर सकती है। जबकि भारतीय संविधान के कठोर होने का अर्थ यह है कि इस संविधान के कुछ ऐसे प्रावधान भी ह...

    भारतीय संविधान संघात्मक व्यवस्था और एकात्मक व्यवस्था दोनों का एक सुंदर मिश्रण है। भारतीय संविधान को संघात्मक संविधान इस आधार पर कहा जाता है कि यह एक लिखित संविधान है, इसमें सर्वोच्च व स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान किया गया है तथा इसमें केंद्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है। जबकि भारतीय संविधान एकात्मक व्यवस्थाओं को भी सम...

    भारत के संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का लक्ष्य घोषित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि भारत एक गणराज्य होगा और उसके राज्याध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा। गणराज्य होने का अर्थ यह है कि भारत का कोई सामान्य व्यक्ति भी अपनी योग्यता के दम पर देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक पहुंच सकता है। यानी राष्ट्रपति ...

    भारतीय संविधान भारत के नागरिकों के लिए एकल नागरिकता निर्धारित करता है। इसका अर्थ यह है कि भारत का नागरिक सिर्फ भारत का ही नागरिक होता है, वह किसी भी अन्य देश का नागरिक नहीं हो सकता है। यदि कोई भारतीय नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो जिस समय वह अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, ठीक उसी समय से वह भारत का नागरिक नहीं रहता है। इसके ...

    भारतीय संविधान में शासन की संसदीय प्रणाली को स्वीकार किया गया है। इसका अर्थ है कि भारत में मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति उत्तरदाई होती है। इसके अलावा, सरकार तब तक ही अपना अस्तित्व बनाए रखती है, जब तक वह लोकसभा में अपना बहुमत रखती है। जिस क्षण सरकार लोकसभा में बहुमत खो देती है, उसी क्षण सरकार अपना अस्तित्व खो देती है। यानी सरकार को अपना अस्तित्व बन...

    भारतीय संविधान की प्रस्तावना में घोषित किया गया है कि भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य होगा। इसका अर्थ है कि भारत की सरकार किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के अंतर्गत कार्य नहीं करेगी। भारत की सरकार भारत के हित से संबंधित निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगी। कोई भी अंतरराष्ट्रीय संस्था या संगठन या अन्य देश की सरकार भारत पर किसी भी प्रकार क...

  4. भारतीय संविधानभाग, उनके शीर्षक और उनसे संबंधित अनुच्छेद. आईएएस परीक्षा की दृष्टि से भारतीय संविधान के कुछ भागों को छोड़कर लगभग सभी भाग महत्त्वपूर्ण हैं। अब हम संविधान के समस्त भाग, उनके शीर्षक और उनसे संबंधित अनुच्छेदों का संक्षिप्त अवलोकन कर लेते हैं- भाग-1 : संघ और उसका राज्यक्षेत्र (अनुच्छेद 1-4) भाग-2 : नागरिकता (अनुच्छेद 5-11)

  5. Sep 17, 2023 · 10 Min Read. Fundamental Rights of India – Articles 12-35. मौलिक अधिकार से तात्पर्य वे अधिकार जो व्यक्तियों के सर्वागिण विकास के लिए आवश्यक होते है इन्हें राज्य या समाज द्वारा प्रदान किया जाता है। तथा इनके संरक्षण कि व्यवस्था की जाती है।. Contents.

  6. Mar 28, 2022 · यह लेख उस्मानिया विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज ऑफ लॉ से बीए.एलएलबी कर रहे R Sai Gayatri द्वारा लिखा गया है। यह लेख भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 12 से 35) के बारे में विस्तार से बताता है। यह मौलिक अधिकारों के संबंध में ऐतिहासिक मामलो की एक अंतर्दृष्टि भी देता है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta द्वारा किया गया है।.

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