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  1. Sep 1, 2023 · best psychology books in Hindi pdf: मनोविज्ञान अध्ययन का एक आकर्षक क्षेत्र है जो मानव मन और व्यवहार में तल्लीन है। यह एक अंतःविषय विषय है जो भावनाओं ...

    • सृजनात्मकता/रचनात्मकता
    • सृजनात्मक व्यक्ति की विशेषताएँ
    • छात्रों में सृजनात्मक क्षमता का विकास
    • सृजनात्मक बालकों की विशेषताएँ
    • सृजनात्मक बालक के पहचान की आवश्यकता
    • सृजनात्मकता की विशेषताएँ
    • सृजनात्मकता और बुद्धि में सम्बन्ध
    • सृजनात्मकता की पहचान एवं मापन

    सृजनात्मकता (Creativity)सामान्य रूप से जब हम किसी वस्तु या घटना के बारे में विचार करते हैं तो हमारे मन-मस्तिष्क में अनेक प्रकार के विचारों का प्रादुर्भाव होता है। उत्पन्न विचारों को जब हम व्यावहारिक रूप प्रदान करते हैं तो उसके पक्ष एवं विपक्ष, लाभ एवं हानियाँ हमारे समक्ष आती हैं। इस स्थिति में हम अपने विचारों की सार्थकता एवं निरर्थकता को पहचानते है...

    Characteristics of Creative Person

    सृजनात्मक व्यक्ति को उसके गुण, कार्य एवं व्यवहार के आधार पर पहचाना जा सकता है क्योंकि सृजनात्मक बालक विभिन्न प्रकारों में सामान्य बालकों से भिन्न होता है। इसी प्रकार के अनेक कार्य ऐसे होते हैं जो कि सामान्य बालकों एवं सजनात्मक बालकों में अन्तर स्थापित करते हैं।

    1. सृजनात्मक व्यक्ति जिज्ञासु होता है

    सृजनात्मक व्यक्ति पूर्णत: जिज्ञासा से सम्पन्न माना जाता है। वह प्रत्येक विचार या घटना के बारे में विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछता है तथा जब तक उसकी जिज्ञासा शान्त नहीं होती ज्ञान प्राप्त के लिये व्याकुल रहता है। प्रत्येक घटना के सन्दर्भ में वह सकारात्मक एवं विश्लेषणात्मक रूप से अध्ययन करने का प्रयास करता है जिससे वह घटना के मूल तथ्य एवं कारण तक पहुंच सके।

    2. सृजनात्मक व्यक्ति चुनौतियाँ पसन्द करते हैं

    सृजनात्मक व्यक्ति कभी भी चुनौतियों से नहीं डरता। वह प्रत्येक चुनौती का साहस से सामना करता है तथा परिस्थितियों को अपने अनकल बनाने का प्रयास करता है। वह प्रत्येक समस्या का समाधान अपनी क्षमता एवं योग्यता के आधार पर करता है। इसलिये वह आत्म-विश्वास से परिपूर्ण होता है।

    Development of Creative Ability in Pupils

    वर्तमान समय में सर्वांगीण विकास के लिये छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन के विकास की प्रमुख रूप से आवश्यकता अनुभव की जाती है। सृजनात्मक चिन्तन शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिये प्रमुख रूप से आवश्यक है। छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन को विकसित करने के लिये सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक संशोधन करना आवश्यक है।

    1. पाठ्यक्रम सम्बन्धी उपाय

    छात्रों में सृजनात्मक चिन्तन का विकास करने के लिये पाठ्यक्रम का स्वरूप सृजनात्मक गतिविधियों एवं विचारों से परिपूर्ण होना चाहिये जिससे छात्र उस पाठ्यक्रम के आधार पर प्रत्येक विषय एवं तथ्यों पर सोचने के लिये प्रेरणा प्राप्त कर सकें। प्रत्येक पाठ के अन्त में छात्रों को शिक्षा प्राप्त होनी चाहिये तथा यह शिक्षा चिन्तन एवं मनन से सम्बन्धित होनी चाहिये। पाठ्यक्रम द्वारा छात्रों को इस प्रकार की गतिविधियों को करने की प्रेरणा देनी चाहिये जो कि तर्क एवं चिन्तनसे सम्बन्धित हों तथा छात्रों को विविध प्रकार...

    2. सृजनात्मक शिक्षकों की व्यवस्था

    शिक्षकों को अपनी शिक्षण तकनीक में परिवर्तन करना चाहिये तथा छात्रों को सृजनात्मक कार्यों में सहयोग देना चाहिये। छात्रों के समक्ष छोटी-छोटी समस्याओं का प्रस्तुतीकरण करना चाहिये जिससे छात्र उनके समाधान के लिये सृजनात्मक तथ्यों की व्यवस्था कर सकें। जैसे- शिक्षक द्वारा छात्रों के समक्ष भाप के इन्जन का चित्र रख दिया जाता है। इसके बाद छात्रों के समक्ष दो या तीन प्रश्न प्रस्तुत किये जाते हैं। भाप का इन्जन किसने बनाया? इसकी प्रेरणा उस व्यक्ति को किस प्रकार मिली? छात्र इस पर अपने विचार-विमर्श करते हैं...

    1. प्रखर बुद्धि

    सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों की बुद्धि प्रखर होती है। वह किसी भी चीज को अन्य बालकों की अपेक्षा शीघ्रता से सीख लेते हैं, जबकि अन्य बालक उसी चीज को अधिक समय में सीख पाते हैं। कक्षा-कक्ष में भी सृजनात्मक बालक अपनी पठन-सामग्री को अन्य बालकों की अपेक्षा शीघ्रता से अंगीकृत कर लेते हैं।

    2. विचारों की स्वतन्त्रता

    सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों में विचारों की स्वतन्त्रता पायी जाती है। वे अपने किसी भी कार्य को पूरा करने के लिये स्वयं ही निर्णय लेना पसन्द करते हैं। उन्हें अपने कार्यों में किसी का हस्तक्षेप पसन्द नहीं आता।

    3. कार्यों में स्वतन्त्रता

    सृजनात्मक योग्यता वाले बालक किसी भी कार्यको स्वतन्त्रतापूर्वक पूरा करना चाहते हैं। वे नियन्त्रित परिस्थितियों में कार्य करना पसन्द नहीं करते हैं।

    Needs of Identification of Creative Children

    सृजनात्मक बालक राष्ट्र की धरोहर है। राष्ट्र के विकास के लिये इन बालकों की प्रतिभा की खोज प्रारम्भ से ही करना आवश्यक है। अतः सृजनात्मक बालक की पहचान कर उसकी विशेषताओं को खोजा जाय, उनकी पहचान के लिये निम्न विधियाँ प्रयोग में लेते हैं- 1. बालकों के सही मूल्यांकन के लिये इनका पता लगाना आवश्यक है। 2. उनके व्यवहार, कार्यशैली तथा मानसिक क्षमता की जानकारी लेकर इनके बारे में उपचार कार्य करें। 3. इनका पता लगाने के पश्चात् ही उनकी वांछित दिशा में उत्पन्न सृजनात्मक शक्ति का विकास किया जाये। 4. इनका व्यक्...

    Characteristics of Creativity

    सृजनात्मकता जन्मजात न होकर अर्जित की जाती है। सृजनात्मकता प्राचीन अनुभवों पर आधारित नवीन सम्बन्धों की रूपरेखा तथा नूतन साहचर्यों का सम्बोध कही जा सकती है।

    Relationship between Intelligence and Creativity

    गिलफोर्ड का प्रज्ञा-गणन एवं सृजनशीलता– प्रज्ञा के गणन परसन (1950 तथा 1956) में किये गिलफोर्ड और उनके साथियों के शोधकार्य दो पृथक चिन्तन धाराओं के अस्तित्त्व को स्पष्ट करते हैं। ये हैं- अभिसारी (Convergent) चिन्तन तथा अपसारी (Divergent) चिन्तन। पहली चिन्तन धारा में केवल एक पूर्व निर्धारित सही उत्तर निहित होता है, दूसरी चिन्तन धारा के फलस्वरूप विविध उत्तरों का जन्म होता है, जिनमें प्रवाह, नमनीयता, मौलिकता तथा विस्तरण क्रियाशीलता होती है। अभिसारी चिन्तन को बुद्धिके साथ जोड़ा जाता है तथा अपसारी च...

    Identification and Measurement of Creativity

    सृजनात्मकता का मापन एवं उसकी पहचान निम्न उपागमों से की जा सकती है- 1. विशेषताओं द्वारा पहचान एवं मापन (Identification and measurement by characteristics) 2. सृजनात्मक क्रिया द्वारा पहचान एवं मापन (Identification and measurement by creativity activity) 3. सृजनात्मक परीक्षणों द्वारा पहचान एवं मापन (Identification and measurement by tests of creativity)

    विशेषताओं द्वारा पहचान एवं मापन

    सृजनशील बालकों में निम्न विशेषताएँ पायी जाती हैं- 1. सृजनशील बालक में मौलिकता अनेक रूपों में पायी जाती है। साधारण विचारों से उसे अधिक संवेदनशीलता अनुभव होती है। वह प्रेरणात्मक होता है और तथ्यों से परे देखता है। वह सदैव विशेष बालक के रूप में जाना जाता है। 2. सृजनशील बालक में किसी समस्या पर स्वत: निर्णय लेने की क्षमता होती है। वह वस्तुओं को अपने ढंग से प्रस्तुत करता है। वह दूसरों के सुझावों को स्वीकार नहीं करता। 3. सृजनशील बालकों में परिहास प्रियता पायी जाती है। वे खेल, आनन्द एवं परिहास के रूप...

    सृजनात्मक क्रियाओं द्वारा पहचान एवं मापन

    बालकों में सृजनात्मकता की पहचान उनके द्वारा की गयी सृजनात्मक क्रियाओं द्वारा भी की जा सकती है। जब कोई बालक अच्छी कविता/कहानी लिखता है, चित्र बनाता है, आविष्कार करता है तब इससे उसकी सृजनात्मकता की पहचान की जा सकती है। बालकों द्वारा की जाने वाली प्रमुख सुजनात्मक क्रियाएँ निम्न हैं-

  2. Jan 9, 2020 · Creativity is defined in as “the production of novel, appropriate ideas in any realm of human activity, from science, to the arts, to. education, to business, to everyday life”, thus the...

  3. Jun 15, 2022 · June 15, 2022 / Hindi Books PDF, Psychological / General / By Kumar. मनोविज्ञान – Manovigyan Book Pdf Free Download. मनोविज्ञान के बारेमें. मनोविज्ञान मनुष्य की मानसिक प्रक्रिया का अध्ययन है। इस अध्ययन के लिए मानसिक प्रक्रिया को ज्ञानात्मक, भावात्मक, तथा इच्छात्मक अनु भव में विभाजित किया जा सकता है।.

    • 29.7 MB
    • हिन्दी
    • 289
    • निर्मला शेरजंग-Nirmala Sherjang
  4. Feb 1, 2018 · पुस्तक का विवरण : मनोविज्ञान वह शैक्षिक व अनुप्रयोगात्मक विद्या है जो प्राणी (मनुष्य, पशु आदि) के मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों तथा व्यक्त व अव्यक्त दाेनाें प्रकार के व्यवहाराें का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन करती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से प्रेक्षणीय व्यवहार………….

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  5. Mar 21, 2024 · एनसीईआरटी बुक क्लास 12 साइकोलॉजी में कुल 07 चैप्टर हैं। ncert book class 12 psychology pdf in hindi विषय के अनुसार दिए हुए हैं। बता दें कि एनसीईआरटी की पुस्तकें ...

  6. Mar 21, 2024 · एनसीईआरटी बुक क्लास 11 साइकोलॉजी में कुल 8 चैप्टर हैं। ncert book class 11 psychology pdf in hindi विषय के अनुसार दिए हुए हैं। बता दें कि एनसीईआरटी की पुस्तकें ...

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